श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ । तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े, तोपे चढ़े दूध की धार । तेरी सात कोस की परिकम्मा, चकलेश्वर है विश्राम । तेरे गले में कंठा साज रेहेओ, ठोड़ी पे हीरा लाल । तेरे कानन कुंडल चमक रहेओ, तेरी झांकी बनी विशाल । गिरिराज धारण प्रभु तेरी शरण । 2019-06-19